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सिरसा (प्रैसवार्ता) हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सहित आठ मंत्रियों को मिली पराजय के चलते पराजित दिग्गजों की "चौधर" बरकरार रखना भाजपा के लिए एक चुनौती कही जा सकती है,क्योंकि उन्हें पराजित करने वाले सरकार में भागीदार है। हरियाणा में भाजपा ने स्पष्ट बहुमत के आंकड़े तक न पहुंच पाने के चलते जजपा से तालमेल कर सरकार बनाई है। जजपा सुप्रीमो दुष्यंत चौटाला ने पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह की धर्मपत्नी तथा मौजूदा भाजपा सांसद विजेंदर सिंह की माता प्रेमलता को उचाना क्षेत्र से,जजपा के ही दवेंद्र बबली ने भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला को टोहाना से,जजपा के ही रामकुमार गौतम ने पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु को नारनौंद से तथा जजपा के रामकर्ण काला ने पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी को शाहबाद क्षेत्र से पराजित किया है। इन भाजपाई दिग्गजों की "चौधर" पर लगे ग्रहण ने सरकारी तंत्र को उलझा कर रख दिया है ,क्योंकि किसी चौधरी की नाराजगी उनपर भारी पड सकती है। केवल इतना ही नहीं चुनावी समर में दोनों दलों के समर्थकों ने इस कद्र राजनीतिक मतभेद बना लिए कि एक मंच पर एकत्रित होना मुश्किल हो जायेगा। दोनों दलों के समर्थक अपनी पार्टी का जनाधार बढाने का प्रयास करेंगे, जिससे राजनीतिक मतभेदों में इजाफा हो सकता है। राज्य के बदले मानचित्र को देखते हुए भाजपा ने अपने पराजित दिग्गजों को संजीवनी देने के लिए एक रणनीति बनाई है,जिसकी बदौलत पराजित दिग्गजों की "चौधर" बरकरार रखी जा सकती है। सूत्रों के अनुसार इस रणनीति से रिक्त हो चुकी दो राज्यसभा सीटों पर कैप्टन अभिमन्यु या रामबिलास शर्मा, सुभाष बराला या कृष्ण बेदी को एडजस्ट किया जा सकता है,जबकि पूर्व सी.एम हरियाणा भूपेंद्र सिंह हुड्डा का विकल्प मुनीष ग्रोवर पूर्व मंत्री हरियाणा को मुख्यमंत्री का ओ.एस.डी बना कर कैबिनेट का दर्जा, पूर्व मंत्री कविता जैन को महिला आयोग की चेयरपर्सन के पद पर सुशोभित किया जा सकता है। भाजपा ने जजपा से तालमेल कर सरकार अवश्य बना ली है,मगर भाजपा का जनाधार भी कम न हो और न ही भाजपाई दिग्गजों की "चौधर" में कमी न आये, का ध्यान रखते हुए बनाई रणनीति पर अमलीजामा पहनाये जाने की तैयारी शुरू कर दी है,ऐसी राजनीतिक गलियारों में चर्चा है।